गिल्ट कॉम्प्लेक्स

अपराधभाव (गिल्ट) की अनुभूति व्यक्ति के जीवन में एक गहरा भावात्मक असर डालती है। जो हमारी आत्मा को दुखी कर सकती है। व्यक्ति अपने जीवनकाल में कभी न कभी कहीं का कहीं किसी तरह की भूल या गलती कर बैठता है। और यह बात भी सही है, की व्यक्ति अपनी गलतियों और भूल के अनुभव से सीखता है। अपराध हमे हमारी जिम्मेदारिओं का एह्साह कराती है और समाज के प्रति हमे और जागृत करती है। अपराध (गिल्ट) हमे सही और गलत के बीच का अंतर समझाने में भी मददरूप होती है, पर जाने अनजाने में व्यक्ति अपनी गलतियों की वजह से अपराधभाव या (गिल्ट काम्प्लेक्स ) का शिकार हो जाता है, जो व्यक्ति के मानसिक स्वास्थय के लिए अत्यंत नुकसानकारक होता है।

अपराधभाव (गिल्ट) की स्थिति में व्यक्ति खुद को दोषी मानता है, और निरंतर उसके विचारो में खोया रहता है। अपराध भाव (गिल्ट) की स्थिति में व्यक्ति अपनी योग्यताओ पर संदेह करता रहता है, और अपने आपको कमज़ोर महसूस करता है, जिसके कारण निर्णय लेने में असमर्थ रहता है और कार्यो को पूरा करने में भी कठिनाई महसूस करता है, और अपने विचारो में दुविधा महसूस करता है।

अपराधभाव ( गिल्ट )के प्रकार।

१ नैचुरल गिल्ट (Natural guilt)- यदि आपने वास्तव में कोई गलती की है और आपने जो किया है उसके लिए आप बुरा महसूस करते हैं, तो अपराधबोध एक सामान्य प्रतिक्रिया है। दरअसल गिल्ट महसूस (Guilt feel) करने से आप आपने आप में बदलाव ला सकते हैं। उदाहरण के लिए आप किसी कार्रवाई के लिए माफी मांगकर या समस्याग्रस्त व्यवहार को बदलकर अपने अपराध बोध से छुटकारा पा सकते हैं। वहीं अगर गलती करने पर भी बुरा महसूस ना होना भविष्य में करने वाली गलतियों को बढ़ावा दे सकता है।

२ मैलाडैप्टिव गिल्ट (Maladaptive guilt)- जब आप किसी ऐसी गलती के बारे में सोचने लगते हैं जिसपर आपका कंट्रोल ही ना हो तो ऐसी स्थिति मैलाडैप्टिव गिल्ट कहलाती है। इसे अगर आसान शब्दों में समझें तो किसी की चाहते हुए भी मदद ना कर पाना।

गिल्टी थॉट्स (Guilty thoughts)- समय-समय पर हर किसी के मन में नकारात्मक या अनुचित विचार आ सकते हैं। कुछ लोगों में ऐसे विचार अपराध बोध की भावना पैदा कर सकती है। भले ही वे उन पर कार्रवाई न करें, उन्हें डर (Fear) हो सकता है कि इसका मतलब है कि वे करेंगे या डरते हैं कि दूसरों को उनके बुरे विचारों के बारे में पता चल जाएगा।

मनो वैज्ञानिक रूप से अपराधबोध (गिल्ट) को समजे तो, जब व्यक्ति अपनी मोलिक इच्छाओ के आग्रह के सामने सम्पूर्ण रूप से जुक जाता है , तब व्यक्ति की नैतिकता व्यक्ति के कार्यो या व्यव्हार के प्रति अपराधबोध (गिल्ट) या शर्मिंदगी की भावना महसूस कराती है। जब आप अपनी मोलिक इच्छाओ को दबा देते है। तब व्यक्ति की नैतिकता व्यक्ति के व्यव्हार के प्रति अच्छा महसूस कराती है अपराधबोध (गिल्ट) वह मोलिक इच्छाओ और नैतिकता के आंतरिक संघर्ष से पैदा होता है, तथा अपराधबोध (गिल्ट)व्यक्ति के आत्म -मूल्यांकन और आत्म- निरिक्षण की प्रकिया है। व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत धारणाओं को समझकर अपने विचारो तथा मान्यताओं में बदलाव ला सकता है।

अगर आप अपने गिल्ट के साथ जूझ रहे हैं, तो यह ध्यान देने वाली बात है कि अपराधबोध गिल्ट एक इंसानी अनुभव है जिससे हम सभी को गुजरना पड़ता है। यह आपकी सीमाएँ और मान्यताओं का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह आपकी पुनर्वास की सीढ़ी का भी एक हिस्सा है। इसे नेगेटिविटी की बजाय पॉजिटिविटी में बदलने का प्रयास करें। सीखें, सुधारें, और आगे बढ़ें - यही सफलता की राह है। अपने गिल्ट को छोड़कर, नये आरंभों के लिए खुद को खोलें। गिल्ट से बचने के लिए सच्चाई का स्वीकार करे। तथा माफी मांगने में शर्मिंदगी महसूस ना करे, तथा अगली बार बेहतरीन प्रयास करे, अपने दोस्तों या स्नेहीजनो से सलाह व् सहायता ले।

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