कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन: एक मानसिक जाल - 2

6. महत्व को कम करना या बढ़ाना (Magnification or Minimization):
  • इसमें व्यक्ति अपनी उपलब्धियों या अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का महत्व कम या बढ़ा-चढ़ाकर देखता है।

उदा. रश्मि ने एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरा किया और उसकी टीम ने उसकी सराहना की। रश्मि सोचती है, "यह कोई बड़ी बात नहीं है। मैं तो बस अपनी ड्यूटी निभा रही थी। मेरी टीम की सराहना करना तो उनकी जिम्मेदारी है।"

वास्तविकता: रश्मि ने एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूरा किया और उसकी सराहना होना उसकी मेहनत और सफलता का मान्यता है।

8. लेबलिंग (Labeling):
  • इसमें व्यक्ति स्वयं या दूसरों को एक नकारात्मक लेबल देता है, जो उनकी पूरी पहचान पर आधारित होता है।

उदा. सुप्रिया ने एक महत्वपूर्ण मीटिंग में अपनी प्रस्तुति में कुछ गलतियाँ कीं। सुप्रिया सोचती है, "मैं हमेशा एक बेवकूफ होती हूँ। मुझे कभी भी सही तरीके से काम नहीं आता।"

वास्तविकता: सुप्रिया ने सिर्फ एक मीटिंग में कुछ गलतियाँ कीं, और इसका मतलब यह नहीं है कि वह हमेशा गलत करती है या बेवकूफ है। यह एक अस्थायी स्थिति है और उसकी कुल योग्यता को नहीं दर्शाती है।

9. व्यक्तिगतकरण (Personalization):
  • इसमें व्यक्ति हर नकारात्मक घटना का जिम्मेदार खुद को मानता है, भले ही वह उसके नियंत्रण में न हो।

उदा. "मेरे बच्चे का परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ, इसका मतलब है कि मैं एक बुरा माता-पिता हूँ।"

वास्तविकता: बच्चे का परीक्षा में प्रदर्शन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि उसकी मेहनत, शिक्षक की शिक्षा पद्धति, प्रश्नों का स्तर, और अन्य व्यक्तिगत और बाहरी परिस्थितियाँ। माता-पिता के रूप में आप केवल सीमित हद तक मदद कर सकते हैं, लेकिन परिणाम पूरी तरह से आपके नियंत्रण में नहीं हैं। खुद को इस स्थिति के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।

10. शुड एंड मस्ट स्टेटमेंट (होना ही चाहिए):
  • "should" और "must" के बयान वह प्रकार के विचार होते हैं जिनमें व्यक्ति अपनी सोच या दूसरों के व्यवहार को बहुत कठोर मानकों पर आंकता है।

उदा. "मुझे हर समय परफेक्ट काम करना चाहिए।"

वास्तविकता: कोई भी व्यक्ति हर समय परफेक्ट काम नहीं कर सकता। सभी के पास गलतियाँ करने की क्षमता होती है और यह स्वाभाविक है। महत्वपूर्ण यह है कि हम अपने प्रयासों को स्वीकार करें और गलतियों से सीखें।

कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन का उपचार:

नकारात्मक विचार का उपचार संभव है और इसके लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। कग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) एक प्रभावी तकनीक है जो व्यक्ति को अपनी नकारात्मक सोच को पहचानने और उसे बदलने में मदद करती है। इसके अलावा, ध्यान और योग भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं।

स्वयं-सहायता के उपाय:

कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन से निपटने के लिए व्यक्ति स्वयं भी कुछ कदम उठा सकता है। सकारात्मक सोच का अभ्यास, आत्म-जागरूकता बढ़ाना, और अपने विचारों को चुनौती देना कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं। लिखित रूप में अपने विचारों को नोट करना और उनके सकारात्मक पक्ष को देखने की कोशिश करना भी सहायक हो सकता है।

निष्कर्ष:

कग्निटिव डिस्टॉर्शन मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है, लेकिन सही तकनीकों और उपचार के माध्यम से इसे संभाला जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सकारात्मक सोच का विकास व्यक्ति को इस स्थिति से उबरने में मदद कर सकता है। स्वस्थ मानसिकता के लिए नियमित ध्यान और मानसिक व्यायाम का अभ्यास करना भी महत्वपूर्ण है।

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